Sunday 5 August 2018

"BIRJU THEKEDAR" Swatantrta Sangram Ki Ek Ankahani Kahani ! (EPISODE 2)

EPISODE 2 

द्वार पर आए हुए हर -एक कि आव-भगत में कोई कसर न छोड़ी जाती । 
कुएं से प्यासा, प्यासा वापस लौट सकता था, मगर शायद ही कभी ऐसा हुआ कि बिरजू ठेकेदार के द्वार से कोई निर्धन बैरंग वापस लौटा हो। बल्कि मानव-सेवा में श्रद्धा रखने वाले बिरजू द्वारा माह में दो-तीन बार भोज का आयोजन भी किया जाता, जिसमें गरीब फ़कीर सविनय आमंत्रित रहते । 
धर्म -कर्म में विश्वास था, तो घर में सुबह-शाम दोनों समय पूर्जा-अर्चना होती ।
मां-बाप तो कबके मृत्यु को प्यारे हो चले थे, तब बिरजू ने कड़ा परिश्रम, मजदूरी आदि करके यह मुकाम हासिल किया ।
मजदूरी जी-तोड़ व ईमानदारी से करता, तो मालिक ने उसे मुंशी नियुक्त कर दिया । और देखते ही देखते वह मुंशी ठेकेदार हो चला । घर-द्वार जोड़ लिया, घर में पैसे भी आने लगे तो आसानी से ब्याह हो गया।
किस्मत भी साथ थी, तो पत्नी (मालती) भी ऐसी पतिपरायणा मिली, जो आठों पहर बिरजू का खयाल करती । मालती एक बेहद गरीब परिवार में जन्मी जरूर थी, किन्तु रूपवती, गुणवती, विचारशील ऐसी कि इन्द्र की अप्सराएं भी कुएं में कूद पड़े ।
ब्याह हो जाने के वर्ष भर बाद मालती ने एक बालक को जन्म दिया।
गांव भर में जलसा हो गया, पूरे गांव को ही दावत पर बुलाया गया, छप्पन किस्म के पकवान पके । भोज में शरीक हुए बच्चों ने मिठाइयों का एक अणु तक ना छोड़ा । दावत में आए हुए हर-एक व्यक्ति ने हृदय से आशीर्वाद दिया, बालक पूरे गांव की ही आंखों का तारा हो गया ।
उन दिनों स्वतंत्रता संग्राम चरम पर था, बिरजू के मन में भी आजादी की लड़ाई के प्रति श्रद्धा जाग उठी ।
जगह-जगह अंग्रेजी छावनियों में विद्रोह करने लगा, बैठकों, रैलियों, व स्वतंत्रता की योजनाएं बनाने में वह दसों दिन घर से नदारद रहने लगा । देशभक्ति का ऐसा स्वाभिमान छा गया कि घर-परिवार की सुध ना रही ।
ना ही पत्नी पर ध्यान गया, ना ही कभी बालक का विचार मन में आया ।
कहा जाता है कि उस दिन जब बिरजू ठेकेदार घर लौटा तो मालती और उसका बालक मृत पड़े थे...
To be continued

Saturday 4 August 2018

"BIRJU THEKEDAR" Swatantrta Sangram Ki Ek Ankahi Kahani !



EPISODE 1st

आकाश में केसरिया छा गया, आह! वह हिमाच्छादित श्वेत पर्वत, और लहलहाते हुए यह हरे-हरे खेत.. 
प्रकृति के रूप में तिरंगे को पा लिया । दिन आजादी की चौथी जयंती का था । चारों ओर देशप्रेम की बयार दौड़ पड़ी। देशभक्ति धुनें कानों में संचार करने लगीं, मन गदगद होने लगा, आत्मा तृप्ति की ओर रुख कर गई। और देशप्रेम के नशे में चूर होकर, देशवासियों के प्रति प्रेम सद्भाव लिए वह चलता रहा । 
राह में जो भी मिला, गले लगाकर इस स्वर्णिम दिन की बधाई देने लगा, माता-बहिनों को उसने दूर से ही हाथ जोड़ कर 'जय हिन्द' कहा।
'हिन्द देश के निवासी, सभी जन एक हैं' गुनगुनाते हुए, राष्ट्रप्रेम से तल्लीन होकर वह चलता रहा ।
गांव से शहर को अभी डेढ़ -दो घंटे का पैदल रास्ता बाकी था, मगर उम्र के आखरी पड़ाव पर आकर भी बिरजू ठेकेदार बड़ी ही सरलता से उन उबड़- खाबड़ रास्तों पर चला जा रहा था । थकान क्या है..? जैसे वह जानता ही ना हो । उसे तो बस शहर पहुंचकर आजादी का जलसा और परेड देखने का फितूर सवार था ।
ढीला- ढाला, मोटा- झोटा पहने हुए, पके हुए लंबे बाल, बढ़ी हुई दाढ़ी.. किन्तु चेहरे पर प्रसन्नता का भाव, कांधे पर एक झोला टांगे हुए, जिसपर जगह- जगह पैबंद लगे हुए थे। हाथ में एक लंबा सा बेत, जूतों से अंगूठे बाहर झांक रहे थे, किन्तु मुख पर ऐसा संतोष था, जैसे वह स्वर्णाभूषणों से सजा हुआ हो ।
वह भी जमाना था जब बिरजू ठेकेदार एक खुशहाल गृहस्थी का स्वामी था । अच्छी खासी जमीन थी, जागीरदारी में तनिक भी अभाव ना था । पेशे के रूप में एक सुसंपन्न ठेकेदारी थी।
घर में दसों- नौकर चाकरी करते, तो कदम-कदम पर कहारों की मुस्तैदी थी। इसके अलावा अन्य कारोबार भी था, तो मुनीम- गुमाशतों की एक पलटन ही साथ होती ।
द्वार पर आए हुए हर -एक कि आव-भगत में कोई कसर न छोड़ी जाती ।
कुंए से प्यासा प्यासा लौट सकता था, लेकिन शायद ही कभी ऐसा हुआ हो कि बिरजू के द्वार से कोई फ़कीर बैरंग लौटा हो।
( जारी)

Wednesday 18 April 2018

Dalai Hills (Mussoorie Dehradun)

Dalai hill lies just above LBS (lal bahadur academy) and on a clear day magnificent views of the greater Himalayas can be seen from this place. For trekking enthusiast the place has various trekking routes which goes through thick forest rich in flora and fauna.

 In this Video you can see the natural beauty of Dalai Hills.

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Wednesday 22 August 2012

2013 North India Flood

 
Disaster in Uttarakhand

 
Uttarkashi Destric

 
Rescue operation After Flood

                                       

                                                                         This is Sad 

Wednesday 18 April 2012

Tourists Places in Uttarakhand

Dodital :


Dodital is a freshwater lake in Uttarakhand, India, situated at a height of 3,024 metres (9,921 ft). Dodital can be a great trek. To reach dodital one may reach uttarkashi by road and would need to walk to dodital here via bewra and other minor villages alongside the Ganges river.
According to one of the popular legends Lord Ganesha chose this place as his abode. There is also a temple devoted to Lord Ganesha here. Another name for this lake is 'dhundital' meaning ganesh ka tal or lake of Ganesha.